Tuesday, November 4, 2008

आर्थिक सुरक्षा से देश की पूर्ण सुरक्षा

वर्तमान समय में सुरक्षा के मायने बदल गए हैं, अब केवल सीमाओं की रक्षा और सुरक्षा ताकत ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि यह भी जरूरी है कि आर्थिक रूप से देश को सशक्त बनाए रखा जाए और देश को आर्थिक रूप से सशक्त बनाए रखने में उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उद्योग विरूध्द गरीबी बिन्दु पर कहा कि एक ओर 'सब कुछ' और दूसरी ओर 'कुछ नहीं' तथा 'हैव' और 'हैव नाट' के बीच की विशाल दूरियों को मिटाने के लिए सी. आई. आई तथा उद्योग ऐसे प्रयास करे जिससे गरीबों की आय बढ़े तथा उन्हें बेहतर जिंदगी जीने का अधिकाधिक अवसर मिले।
 
रायपुर, 1 नवम्बर 2008 को भारतीय उद्योग परिसंघ पूर्वी क्षेत्र विचार संगोष्ठी में राज्यपाल श्री ई.एस.एल. नरसिम्हन ने कहा है कि उद्योग केवल धन अर्जन करने और लोगों को रोजगार देने का कार्य नहीं करते बल्कि वे ऐसे महत्वपूर्ण संसाधन है जो देश को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण सहयोगी की भूमिका निभाते हैं। आज ग्रामीण क्षेत्रों की बड़ी आबादी शहरों तथा महानगरों की ओर प्रवास करती है इससे जहां एक ओर शहरों पर आर्थिक दबाव बढ़ता है वहीं बढ़ती जनसंख्या के सामने आवास, शिक्षा स्वास्थ्य तथा रोजगार के अवसरों की कमी जैसी अनेक समस्याएं पैदा होती है जिससे बड़ी जनसंख्या को निराशा का सामना करना पड़ता है। राज्यपाल ने ऐसी विषम परिस्थितियों का समाधान का निकालने के लिए सी.आई.आई. को पहल करने का आह्वान किया।
 
       राज्यपाल ने कहा कि औद्योगीकरण एवं उद्योगों की स्थापना के लिए किसानों और ग्रामीणों के भूमि अधिग्रहण की जाती है। लेकिन इससे एक बड़ी समस्या उनके सामने विस्थापन और रोजी-रोटी की समस्या के अलावा उन्हें मानसिक रूप से दुख-दर्द भी होता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए न केवल बेहतर तथा दीर्घ कालिक पुनर्वास नीति बनायी जानी चाहिए बल्कि उन्हें उचित मुवाअजा भी मिलना चाहिए। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उनसे किए गए वायदों को हर हालत में पूरा किया जाए।
 
       श्री नरसिम्हन ने उद्योगों से कहा कि वे इस इस बात पर सचेत रहे कि कार्पोरेट सोशल रिसपांसबिलीटी की अवधारणा एक फैशन भरा नारा बनकर न रह जाए। उन्होंने कहा कि केवल वृक्षारोपण कर, मध्यान्ह भोजन देकर या स्कूलों में खेल प्रतियोगिता से इस जिम्मेदारी को पूरा नही किया जा सकता। इसके लिए स्थायी विकास तथा लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा के लिए ठोस प्रयास करना जरूरी है। वे ऐसे प्रयास करे जिससे स्थायी परिसम्पतियों का निर्माण हो। उन्होंने कहा कि कार्पोरेट एवं उद्योग जगत हर वर्ष अपने सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए शिक्षा जैसे एक महत्वपूर्ण बिन्दु को अपना लक्ष्य बनाए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश के बस्तर जैसे दूरस्थ अंचलों में नक्सली का सामना करते हुए हमारे जवान को हिंसा का शिकार हो जाते हैं। अगर ऐसे क्षेत्रों में उद्योग सर्वसुविधायुक्त चिकित्सालय बनाने तथा संचालन करने सामने आए तो उनके ऐसे प्रयास काफी सार्थक साबित होंगे।
 
       श्री नरसिम्हन ने कहा कि औद्योगीकरण के फलस्वरूप प्रदूषण की समस्या बढ़ी है। इससे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि उद्योग धर्नाजन अवश्य करे लेकिन इस बात से सचेत रहे कि उनके उद्योग से निकलने वाले प्रदूषणों से कोई बीमार पड़े और न ही मरीज बने। स्वच्छ एवं साफ सुथरा वातावरण बनाए रखना हर उद्योग का महत्वपूर्ण दायित्व है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए निर्धारित मापदंड़ों का हर हालत में पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। लोगों के स्वास्थ्य की कीमत पर उद्योगों की स्थापना नहीं होनी चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि राज्य के विकास के लिए प्रशासन और उद्योगों के बीच बेहतर तालमेल होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने हर तीन या छह माह में प्रशासन के साथ एक नियमित बैठक आयोजित करने का सुझाव भी सीआईआई को दिया।
 
       इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव पी.सी. दलेई भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में भारतीय उद्योग परिसंघ के छत्तीसगढ़ चेप्टर के चेयरमेन श्री एस.के. जैन ने सीआईआई के कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा कौशल विकास तथा अन्य योजनाओं की जानकारी दी। सीआईआई के पूर्वी क्षेत्र के वाइस चेयरमेन श्री मुकुल सोमानी ने बताया कि यह संस्था 113 वर्ष पुरानी है। छत्तीसगढ़ सहित देशभर में इसके 64 आफिस है तथा देश के बाहर 8 आफिस है। सीआइआई के क्षेत्रीय निदेशक श्री सौगात मुखर्जी ने भी संबोधित किया।
 
       इस अवसर पर राज्यपाल के साथ विचार-विमर्श करते हुए श्री अरविंद जैन, श्री छंगानी, श्री पार्थो, श्री सिध्दार्थ, वक्ताओं ने कहा कि उद्योग अनेक लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। उद्योगपति श्री बी.एल. अग्रवाल ने कहा उन्होंने स्वयं औद्योगिक परिसर सिलतरा में जब अपने परिवार सहित 24 घंटे बिताए तो उन्होंने अनुभव हुआ है कि वास्तव में यहां प्रदूषण का स्तर अधिक है। उन्होंने इसके बाद तय समय सीमा में अपने उद्योग से प्रदूषण को समाप्त किया। एक युवा उद्योगपति ने यह कहा कि बंजर भूमि पर ही उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इस अवसर पर ग्रीन बिल्डींग सहित विविध मुद्दों आपसी विचार विमर्श भी किया गया।

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