Monday, October 27, 2008

शहीदों का साहस समाज के लिए सबसे उत्कृष्ट उदाहरण- श्री नरसिम्हन

पुलिस स्मृति दिवस परेड कार्यक्रम में शामिल हुए राज्यपाल

 

रायपुर, 21 अक्टूबर  2008

प्रदेश के राज्यपाल श्री ई.एस.एल. नरसिम्हन आज  शहीद स्मारक मैदान, चौथी वाहिनी छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल माना रायपुर में आयोजित पुलिस स्मृति दिवस परेड कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कर्तव्य की बलवेदी पर अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले शहीद पुलिस कर्मियों को श्रध्दांजलि अर्पित की।

 

श्री नरसिम्हन ने कहा कि शहीदों ने हमारे कल के लिए अपने आज का न्यौछावर कर वीरता और देश भावना का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। इनका साहस समाज के लिये एक अद्भूत मिसाल है। वे हम सबके लिए एक रोल माड्ल है। उन्होंने कहा कि शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारजनों के प्रति समाज और सरकार का कर्तव्य है कि उनके परिवार को हर संभव सम्बल दें। उन्होंने कहा कि शहीदों के परिवारजनों को मिलने वाली देय तथा अनुकंपा राशि आदि का प्रदाय हर हालत में एक माह के भीतर ही हो जाना चाहिए। इस कार्य में एक भी दिन का विलम्ब नहीं होना चाहिए। इस अवसर पर राज्यपाल ने शहीदों के परिजनों की सहायता हेतु बनाये गये शहीद सम्मान निधि के लिए अपने एक माह का वेतन प्रदान करने की घोषणा की।  

 

श्री नरसिम्हन ने कहा कि किसी भी समाज का विकास निर्भय वातावरण में संभव होता है। इस कल्पना को साकार करने में छत्ताीसगढ़ पुलिस ने कानून एवं व्यवस्था का निर्वहन, कर्तव्य परायणता, कर्मठता, सतर्कता तथा निर्भीकता से किया है तथा नक्सली समस्या का सामना करने में भी अपनी श्रेष्ठ क्षमता प्रदर्षित की है। पुलिस कर्मियों पर अपराध नियंत्रण के साथ-साथ कानून और व्यवस्था बनाये रखने का महत्वपूर्ण दायित्व है। नागरिक सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी जिस समर्पण, साहस और निष्ठा का परिचय देते हैं वह निष्चय ही प्रषंसनीय है। जन सेवा के लिए हर पल तत्पर रहने वाले हमारे जवानों ने कठिन से कठिन संकट और चुनौतियों का सामना पूरे साहस और बहादुरी के साथ किया है। लोगों की जान-माल की सुरक्षा के लिए प्राणों की बलि देने में वे कभी पीछे नहीं हटे हैं। उन्होंने कहा कि जब हम सब दीपावली, दशहरा, ईद या क्रिसमस जैसे त्यौहार अपने घर-परिवार और दोस्तों के बीच खुशी के वातावरण में मनाने में मशगूल रहते हैं। ऐसे समय में भी हमारे जवान अपनी खुशियां भूलकर दूसरों की खुशियों के लिए अपनेर् कत्ताव्य निभाने तत्पर रहते हैं। हम सभी लोगों और समाज को इनके ऐसेर् कत्ताव्यपालन पर ध्यान अवश्य देना चाहिए। 

 

इस अवसर पर राज्य के पुलिस महानिदेशक श्री विश्वरंजन ने कहा कि पुलिस कर्मी अत्यंत कठिन परिस्थितियों में भी मनोबल को ऊंचा रखते हुए समाज की रक्षा एवं अखण्डता की रक्षा के लिये अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तत्पर रहते हैं। उन्होंने बताया कि श्रध्दाजंलि के रूप में प्रदेश के पुलिस कर्मी आरक्षक से पुलिस महानिदेशक स्तर तक ने अपने एक दिन के वेतन से पुलिस शहीद सम्मान निधि का गठन किया है जो आज से लागू होगा। इस निधि के तहत नक्सली हिंसा में शहीद प्रत्येक पुलिस कर्मी के आश्रित परिवार को बिना पद का भेद किये एक लाख रूपए की राशि पुलिस परिवार की ओर से सम्मान के रूप में प्रदाय की जावेगी। उन्होंने बताया कि देश में इस वर्ष कर्तव्य पालन के दौरान विभिन्न अवसरों पर अध्दसैनिक एवं समस्त राज्य पुलिस बलों के 684 जवानों ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया है। छत्तीसगढ़ में इस वर्ष समाज की अखण्डता एवं सुव्यवस्था की रक्षा के लिये छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल एवं जिला पुलिस बल के 40 जवानों ने प्राणों की आहुति दी है।

 

 इस अवसर पर वीर पुलिस कर्मियों की शहादत को चिरस्थायी बनाने के लिए उनकी स्मृति में पाल-बियरर पार्टी द्वारा सम्मान सूची का स्मारक कोष में संस्थान किया गया।  राज्यपाल ने शहीद पुलिस कर्मियों के परिजनों से भेंट की और उनकी समस्याओं की जानकारी ली। श्री नरसिम्हन ने उन्हें धैर्य और ढाढ़स बंधाया और उन्हें आश्वस्त किया कि पुलिस विभाग द्वारा उनके सभी देय राशि तथा सहायता का समाधान समय पर किया जाएगा। इस मौके पर मुख्य सचिव श्री पी. जाय. ओम्मेन सहित पुलिस विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे।

 

छत्तीसगढ़ के 40 अमर शहीदों में अनिल खलखो, रमाशंकर पाण्डेय, विनोद प्रेता, विजय शुक्ला, चमरूराम महंती, विष्णुराम जूरी, लख्मूराम गोयल, मुकेश वर्मा, विजय कुमार सुर्याकर, राधेश्याम केसरी, हीरालाल गायकवाड, कमेश्वर सोनवानी, सुभाष कुमार मंडावी, नवाब खान, छत्रधारीप्रसाद जागड़े, धनीराम ठाकुर, रामगोपाल शुक्ला, विक्रम सिंह मोरी, श्यामलाल अंबाले, सदराम सलाम, संदीप टोप्पो, हरीशचंद्र, शिवकुमार, वोरला अनंतराव, अनित कुमार गोरला, सत्यनारायण बगर्ती, शोभाराम साहू, मुरलीधर तिवारी, शिवकुमार शर्मा, लेखन सेठिया, जयसिंह नेताम, अजय कुमार शर्मा, पोलीकार्य तिग्गा, माहूलाल हरदे, बिसुनदास, रतिराम सिन्हा, विजय कुमार यादव, लच्छुराम पोडियामी, दशरूराम भोगामी और शंकरराव शामिल हैं।

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