बिलासपुर विधानसभा आम चुनाव 2008 सम्पन्न होने जा रहा है। अतएव शासकीय कर्मचारियों को किसी भी प्रकार चुनाव अभियान या प्रचार में भाग नहीं लेना चाहिये। उन्हें यह देखना चाहिये कि सरकार में उनकी हैसियत या उनके प्रदत्त अधिकारों का लाभ कोई दल या उम्मीदवार न ले सके। किसी अभ्यर्थी के निर्वाचन के लिये प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से कार्य करना छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम के प्रावधानों के विपरीत है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत् निर्वाचनों से संबध्द अधिकारी व कर्मचारी न तो किसी अभ्यर्थी के लिये कार्य करेंगे और न ही मत देने हेतु किसी प्रकार का प्रभाव डालेंगे। इसके अतिरिक्त कोई शासकीय सेवक निर्वाचन अभिकर्ता, मतदान अभिकर्ता या गणना अभिकर्ता के रूप में कार्य नहीं कर सकता है।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अधीन निर्वाचनों के संचालन के लिये नियोचित समस्त अधिकारी, कर्मचारी तथा राज्य सरकार द्वारा पदाभिहित अधिकारी निर्वाचन के परिणाम घोषित होने तक निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्ति पर समझे जायेंगे और उस समय तक निर्वाचन आयोग के नियंत्रण, अधीक्षण और अनुशासन के अधीन रहेंगे। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश के अनुसार निर्वाचन की घोषणा की तिथि से लेकर निर्वाचन की प्रक्रिया पूर्ण होने तक की अवधि में केवल कुछ अपवादित स्थितियों को छोड़कर केन्द्र या राज्य शासन के कोई मंत्री ऐसे निर्वाचन क्षेत्र में शासकीय दौरा नहीं करेंगे, जिनमें निर्वाचन की घोषणा हो चुकी है। यदि मंत्री संस्था या पार्टी की ओर से आमसभा आयोजित करते हैं, तो सभा की व्यवस्था नहीं की जायेगी। केवल कानून एवं व्यवस्था बनाये रखना सुनिश्चित किया जायेगा। यदि कोई मंत्री चुनाव के कार्य से भ्रमण करते हैं तो शासकीय कर्मचारी तथा अधिकारी उनके साथ नहीं जायेंगे। उन अधिकारियों को छोड़कर जिन्हें ऐसी सभा के आयोजन में कानून एवं व्यवस्था के लिये, सुरक्षा के लिये या कार्यवाही नोट करने के लिये तैनात किया गया हो, दूसरे अधिकारियों को ऐसी सभा या आयोजन में शामिल नहीं होना चाहिये। जब किसी मंत्री को किसी निजी मकान पर खाने-पीने के लिये आमंत्रित किया जाता है तो कोई शासकीय अधिकारी-कर्मचारी उसमें शामिल नहीं होंगे तथा कोई भी शासकीय कर्मचारी किसी राजनीतिक आंदोलन में न तो भाग लेगा, न उनकी सहायता के लिये चंदा देगा और न ही किसी प्रकार का सहयोग देगा।
No comments:
Post a Comment