भारत की विशाल जनसंख्या को देखते हुए यहां चिकित्सकों की कमी है। विशेषकर दूरस्थ तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ और आवश्यक उपकरणों की कमी है। उन्होंने मेडिकल शिक्षा से जुड़े लोगों से प्रश्न किया कि डॉक्टर कहां है? क्या हम पर्याप्त संख्या में चिकित्सक तैयार नहीं कर पा रहे हैं, या वे ग्रामीण क्षेत्रों में जाना नहीं चाहते।
भारतीय चिकित्सा परिषद की हीरक जयंती वर्ष पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राज्यपाल श्री नरसिम्हन ने पूछा कि ग्रामीण जनसंख्या के लिये चिकित्सा का क्षेत्र कैसे सुधारा जा सकता है। राज्यपाल ने मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया तथा राज्य के मेडिकल कालेज के शिक्षकों का आह्वान किया कि वे ऐसे प्रयास करे जिससे शासकीय चिकित्सालय चिकित्सा की दृष्टि से आकर्षण का केंद्र बने। उन्होंने कहा कि आम लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना शासन का दायित्व है और हमारे चिकित्सालय इतने बेहतर तथा आकर्षक होने चाहिए कि विशेषकर गरीब जनता निजी चिकित्सालय जाने के बजाए शासकीय चिकित्सालयों में इलाज के लिए पहुंचे।
उन्होंने ऐसे प्रयास करने पर भी बल दिया जिससे चिकित्सक अपनी सेवाएं ग्रामीण क्षेत्रों में भी आवश्यक रूप से दें। राज्यपाल ने कहा इसके लिए चिकित्सा छात्रों को ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे उनका मरीजों के साथ आत्मीय संवाद बढ़े। चिकित्सक मरीजों के साथ रूखा व्यवहार न कर उनका धैर्य, हिम्मत और ढांढ्स बढ़ाये।
उन्होंने यह भी कहा कि मैंने दिल्ली सहित पूरे देश के अनेक चिकित्सालयों को देखा है और मुझे खुशी है कि राज्य के सरकारी चिकित्सालयों के चिकित्सकगण सर्वोत्तम हैं। राज्यपाल ने कहा कि चिकित्सकों का कार्य सर्वोत्कृष्ट एवं नोबल कार्य है। यह कार्य ईश्वर द्वारा दिया अनमोल तोहफा है।
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