ध्वनि प्रदूषण के खतरनाक प्रभावों के संबंध में जन-जागरूकता लाये जाने का प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। शिक्षा के प्रारंभिक चरणों में स्कूली बच्चों एवं युवाओं में सिविक सेन्स लाये जाने के लिये उनके पाठय पुस्तकों में ध्वनि प्रदूषण एवं उसके दुष्प्रभावों से संबंधित अध्यायों को शामिल किया जाना चाहिए। ध्वनि प्रदूषण के प्रभावों व उसकी रोकथाम हेतु स्कूली बच्चों व युवाओं की भूमिका सुनिश्चित करने हेतु स्कूलों में भाषण व विशेष चर्चा इस विषय पर करायी जानी चाहिए। पुलिस एवं जिला प्रशासन को इस समस्या के समाधान एवं इसके नियमों के संबंध में जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण आदि आयोजित किया जाना चाहिए। परिपत्र में यह भी कहा गया है कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण में राज्य शासन की महत्वपूर्ण भूमिका है। रेसीडेन्ट वेलफेयर एसोलिशएशन, सर्विस क्लब एवं विभिन्न संस्थाओं को ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण को अपनी कार्ययोजनाओं में शामिल कर कार्य करना चाहिए। जिला प्रशासन की भी इस कार्यक्रम में विशेष भूमिका होनी चाहिए। ऐसी संस्थाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जो ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण जैसी गतिविधियों को संचालित कर रही हैं। विभिन्न त्यौहारों, घटनाओं एवं अवसरों पर विशेष जन-जागरूकता अभियान चलाये जाने चाहिए।
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