पूरा विश्व एकीकरण की अवधारणा की ओर अग्रसर है। देश की परम्परागत संयुक्त परिवार की अवधारणा को भी बल मिला है। ऐसे में यह भी जरूरी हो गया है कि मेडिकल शिक्षा भी एकीकृत हो और इसका पाठयक्रम रूढ़िगत बनकर न रहे, जिससे बीमारियों और समस्याओं के प्रति हमारी समझ और बेहतर बने। भारतीय चिकित्सा परिषद की हीरक जयंती वर्ष पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राज्यपाल श्री नरसिम्हन ने कहा कि इसके लिए मेडिकल शिक्षा में खण्डित शिक्षा के बजाए एकीकृत शिक्षा ज्यादा उपयोगी साबित हो सकती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक रोगी की समस्याएं फिजियोलॉजी, पैथोलॉजी और एनोटामी से संबंधित होती है, इन्हें अलग-अलग विषयवार पढ़ाने के बजाय समस्या आधारित सीखने की प्रक्रिया के संयुक्त प्रयासों से बेहतर ढंग से समझा जा सकता है।
शासकीय चिकित्सालय आकर्षण का केंद्र – 4
No comments:
Post a Comment