सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पटाखों और अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। पटाखों के उपयोग के संबंध में कहा गया है कि ध्वनि प्रदूषण के आधार पर पटाखों का मूल्यांकन करने के स्थान पर उनकी रासायनिक संरचना के आधार पर पटाखों का मूल्यांकन किया जाए। रात्रि दस बजे से सुबह छह बजे तक ध्वनि उत्पन्न करने वाले पटाखों के फोड़ने पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। रंग अथवा रौशनी उत्पन्न करने वाले पटाखों पर यह प्रतिबंध आवश्यक नहीं है। पटाखे बनाने वाले प्रत्येक निर्माता को उसके रासायनिक तत्वों का उल्लेख पटाखे के बाक्स पर करना होगा, जो एक्सप्लोजिव विभाग द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुरूप होगा। यदि निर्माता ऐसा नहीं करता है तो वह इसके लिए स्वयं जिम्मेदार होगा। निर्यात के लिए पटाखों का निर्माण किया जाता है, तो निर्यात आदेश के अनुसार ही उच्च ध्वनि वाले पटाखे निर्माण की अनुमति होगी। निर्यात किए जाने वाले पटाखे की पैकिंग भारत में बेचे जाने वाले पटाखे से अलग रंग में होगी।
Monday, October 27, 2008
रासायनिक संरचना के आधार पर पटाखों का मूल्यांकन
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
शुभाम् करोति कल्याणं,
अरोग्यम धन: सम्पदा,
शत्रु बुद्धि विनाशाय,
दीपमज्योती नमोस्तुते,
शुभ दीपावली
Post a Comment